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सार
- एमसीडी के काम न करने का भुगतना पड़ता है खामियाजा
- फंड की कमी से कर्मचारियों को नहीं मिल पाती सेलरी
- दिल्ली के टैक्स में नगर निगमों की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो
विस्तार
भाजपा नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। पार्टी के कई शीर्ष नेताओं का मानना है कि एमसीडी का जमीन पर अच्छा प्रदर्शन न कर पाने का खामियाजा उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ता है। इसका एक बड़ा कारण एमसीडी के लिए दिल्ली सरकार द्वारा समय पर फंड जारी नहीं करना भी है।
फंड की कमी के कारण एमसीडी के स्कूलों के अध्यापकों और सफाई कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं हो पाया। इससे पैदा हुई अव्यवस्था का ठीकरा भाजपा के सिर फूटता है जिसकी कीमत उसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में भुगतनी पड़ती है।
लेकिन अब दिल्ली सरकार राजधानी के तीनों नगर निगमों का पैसा नहीं रोक पाएगी। सूत्रों के मुताबिक पार्टी इसके लिए कानूनी विकल्प अपनाने पर विचार कर रही है। पार्टी ऐसे रास्ते की तलाश कर सकती है, जिसमें दिल्ली के टैक्स में नगर निगमों की हिस्सेदारी सुनिश्चित कर दी जाए।
इससे तीनों नगर निगमों को बिना मांगे उनकी हिस्सेदारी स्वतः उपलब्ध हो जाएगी। इससे एमसीडी के कामकाज प्रभावित नहीं होंगे और भाजपा को इसका खामियाजा नहीं भुगतना पड़ेगा।